राहुल के फरमान से नेताओं के 'पेट में दर्द'

राहुल के फरमान से नेताओं के 'पेट में दर्द'

congress leader upset by rahul gandhi new decision
 
अनिच्छा के बावजूद सुरेश पचौरी को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का माना जा रहा है।

भले ही पचौरी मध्य प्रदेश कांग्रेस में हावी गुटबाजी के शिकार बने हों, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी उपाध्यक्ष खुद चाहते है कि बड़े नेताओं को चुनाव में लड़ाकर उनके जमीनी वजूद का पता लगाया जाए।

राहुल के रुख को लेकर कांग्रेस के कई बड़े दिग्गजों के पेट में दर्द होने लगा है। खासकर वे नेता ज्यादा डरे हुए हैं, जो कई सालों से पार्टी और सरकार में बड़े पदों पर बैठे हुए हैं, मगर सालों से चुनाव नहीं लड़ा है।

कांग्रेस के अंदर बड़े और सख्त बदलाव को लेकर भय का माहौल बना हुआ है। सुरेश पचौरी कांग्रेस के वार रूम में काम कर रहे थे। पिछले चुनाव में वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। तब भी उनके चुनाव लड़ने की बात थी। मगर उन्होंने आलाकमान को पाले में लेकर अपना नाम उम्मीदवार की सूची से हटवा लिया था।

ऐसे ही पिछले लोकसभा चुनाव में भी उनका नाम सूची में था। उनका होशंगाबाद लोकसभा सीट से लड़ना तय माना जा रहा था। मगर एक बार फिर आलाकमान तक पहुंच होने के चलते उन्होंने चुनाव से दूरी बना ली। इसके बाद राज्यसभा सीट के लिए उन्होंने काफी जुगत लगाई। मगर सफल नहीं हो सके। इसके बाद से ही वह संगठन का कामकाज देख रहे थे।

सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह ने ही उनको टिकट दिलाने के प्रकरण में अहम भूमिका निभाई है। मगर साथ ही यह भी माना जा रहा है कि राहुल भी बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने के हक में हैं।

आगामी लोकसभा चुनाव में वह कई बड़े नामों को चुनावी मैदान में उतारने के बारे में सोच रहे हैं। खासकर राज्यसभा के रास्ते मंत्री और संगठन में बैठे बड़े पदाधिकारियों की हैसियत खोने का ज्यादा डर बना हुआ है।